नमस्कार आदरणीय शिक्षक साथियो/प्यारे विद्यार्थियो
कम समय में रिवीजन हेतु टीम MISSION 100 GEOGRAPHY द्वारा किये गये एक अभिनव पहल
'चलते चलते पढले रे बन्दें ' भाग 1 भाग 2 ,भाग 3 व भाग 4 को आप सभी भूगोल के विद्वान साथियों व प्यारे विद्यार्थियों नें खूब प्यार एवं स्नेह दिया। हजारों विद्यार्थियों तक शेयर किया आप सभी का हार्दिक आभार।
अभिनव पहल की इस कडी में अन्तिम भाग लाए हैं-
चलते चलते पढले रे बन्दें भाग-5
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दीर्ध उत्तरीय 3 अंक वाले
प्रश्न 1.आकार के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर- आकार के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण- आकार से तात्पर्य उद्योगों में निवेशित पूँजी , नियोजित लोगों की संख्या और उत्पादन की मात्रा से है। इस आधार पर उद्योग तीन प्रकार के होते हैं।
कुटीर उद्योग (घरेलू उद्योग)
लघु उद्योग (छोटे पैमाने के उद्योग)
वृहत् उद्योग (बड़े पैमाने के उद्योग)
कुटीर उद्योग- ऐसे उद्योग जिनमें परिवार के सदस्यों द्वारा घर पर ही कम पूँजी निवेश और साधारण औजारों द्वारा स्थानीय कच्चे माल से वस्तुओं का निर्माण किया जाता है जिनका निजि उपयोग के बाद शेष बचे तैयार माल को स्थानीय बाजार में बेच दिया जाता है ऐसे उद्योग कुटीर उद्योग या घरेलू उद्योग कहलाते हैं। ये निर्माण कि सबसे छोटी इकाई है।
उदाहरण- खाद्य पदार्थ – आचार, मुरब्बा, चटाइयाँ, बर्तन, लोहार सुनार नाई व कुम्हार आदि के कार्य।
लघु उद्योग- इनमें परिवार के सदस्यों के अलावा वैतनिक अर्दकुशल श्रमिकों व मशीनों का प्रयोग कर स्थानीय कच्चे माल से वस्तुएं निर्मित की जाती हैं इन उद्योगों में रोजगार के अवसर अधिक लोगों को मिल पाता है। भारत , चीन, इंडोनेशिया और ब्राजील की अधिकांश जनसंख्या इसी प्रकार के उद्योगों से रोजगार पा रही है।
वृहत् उद्योग- ऐसे उद्योग जिनमें उच्च पूँजी निवेश तथा उच्च प्रौद्योगिकी व शक्ति के साधनों द्वारा व्यापक स्तर पर उत्पादन होता है, वृहत् उद्योग कहलाते हैं। इन उद्योगों का सूत्रपात औद्योगिक क्रांति के बाद हुआ। उदाहरण- सीमेंट उद्योग, सूती वस्त्र उद्योग, पैट्रो रसायन उद्योग, लोहा इस्पात उद्योग।
इन उद्योगों की शुरूआत ग्रेट ब्रिटेन, पश्चिमी यूरोप व संयुक्त राज्य अमेरिका से हुई थी लेकिन वर्तमान में इनका विस्तार विश्व के सभी भागों में हो गया है।
प्रश्न 2. स्वामित्व के आधार पर उद्योगों का वर्णन कीजिए
उद्योग का स्वामी कौन है अर्थात उसका नियंत्रण व निर्देशन करने वाले कौन है इस आधार पर उद्योगों को निम्नलिखित तीन भागों में बांटा गया है-
1.सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग2. निजी क्षेत्र के उद्योग
3.संयुक्त क्षेत्र के उद्योग
सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग-
जिन उद्योगों का स्वामित्व और संचालन सरकार के पास होता है वे सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग कहलाते हैं। साम्यवादी देशों में अधिकांश उद्योग सार्वजनिक प्रकार के होते हैं। भारत में बहुत सारे उद्योग सार्वजनिक क्षेत्र के अधीन हैं। जैसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड।
निजी क्षेत्र के उद्योग-
ऐसे उद्योग जिनका स्वामित्व व संचालन किसी एक व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह के पास होता है, निजी क्षेत्र के उद्योग कहलाते हैं। पूंजीवादी अर्थव्यवस्था वाले देशों में अधिकांश उद्योग निजी क्षेत्र में ही होते हैं।
संयुक्त क्षेत्र के उद्योग--
ऐसे उद्योग जिनका स्वामित्व और संचालन सरकार व निजी व्यक्तियों के समूह द्वारा किया जाता है संयुक्त क्षेत्र के उद्योग कहलाते हैं जैसे मारुति उद्योग लिमिटेड।
प्रश्न 3 पर्यटन को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए
उत्तर- आप स्वयं तैयार करें
प्रश्न 4 वर्षा जल संग्रहण का अर्थ बताते हुए इसके लाभों को लिखिए।
उत्तर- वर्षा के जल को अनावश्यक बहने से रोककर उसे एकत्र करने को ही वर्षा जल संग्रहण कहते हैं। इसके लिए वर्षा के जल को नलकूपों ,कुओं और गड्डों में एकत्र कर लिया जाता है। यह एक सस्ती व पर्यावरण अऩुकूल विधि है।
वर्षा जल संग्रहण के लाभ-
I. वर्तमान में लगातार गिरते भूमिगत जल स्तर को रोका जा सकता है।
II. वर्षा जल को संग्रहित करके जल की उपलब्धता को बढाया जा सकता है
III. इसके मृदा अपरदन व बाढ़ को रोका जा सकता है
IV. ग्रीष्म ऋतु और सूखे के समय जल की घरेलु आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सकती है।
V. इससे भूमिगत जल पर समुदाय की निर्भरता को कम किया जा सकता है।
VI. इससे फ्लुओराइड और नाइट्रेट्स जैसे संदुषकों को कम करके अवमिश्रण भूमिगत जल की गुणवत्ता को बढा सकते हैं।
निबन्धात्मक प्रश्न 4 अंक वाले
प्रश्न 1. विश्व जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए?
उत्तर- जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारक- पृथ्वी धरातल पर जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों को मुख्य रूप से तीन भागों में बाँटा जा सकता है।
भौगोलिक कारक आर्थिक कारक सामाजिक व सांस्कृतिक कारक
1 जल की उपलब्धता 1 खनिज
2 भू- आकृति 2 नगरीकरण
3 जलवायु 3 औद्योगिकरण
4 मृदाएँ
भौगोलिक कारक- मुख्य भौगोलिक कारक निम्नलिखित है-
1 जल की उपलब्धता- मानव की दैनिक आवश्यकताओं में जल का अत्य़धिक महत्व है अत जिन क्षेत्रों में जल आसानी से उपलब्ध हो जाता है वहाँ अधिक संख्या में लोग रहना पसंद करते हैं। इसके विपरीत जल अभाव वाले क्षेत्रों में जनसंख्या भी कम बसती है।
2 भू आकृति- समतल मैदानी भागों में कृषि, परिवहन, औद्योगिक विकास अधिक होने की वजह से अधिक जनसंख्या जबकि मरूस्थलीय व पहाड़ी भागों में कम जनसंख्या निवास करती है।
3 जलवायु – अति शीत या अति उष्ण जलवायु वाले क्षेत्रों( ध्रुवीय व भूमध्य रेखीय) में जनसंख्या कम निवास करती है जबकि सम जलवायु ( भूमध्यसागरीय) वाले क्षेत्रों में जनसंख्या सघन है।
4 मृदाएँ- विश्व के जिन क्षेत्रों में मिट्टियाँ उपजाऊ हैं वहाँ कृषिगत क्रियाएं विकसित होने के कारण अधिक जनसंख्य़ा निवास करती है इसके विपरीत अनुपजाऊ मिट्टियों वाले क्षेत्रों में कम जनसंख्या निवास करती है।
आर्थिक कारक -
1 खनिज- जिन क्षेत्रों में खनिज भण्ड़ार हैं तथा खनन कार्य होता हैं वहां लोगों को रोजगार आसानी से मिल जाता है इसलिए जनसंख्या अधिक पायी जाती है। अफ्रिका की कटंगा, जांबिया ताबाँ पेटी इसका अच्छा उदाहरण है।
2 नगरीकरण- नगरों में रोजगार , चिकित्सा , परिवहन, व शैक्षणिक सुविधाएं मिल जाने के कारण जनसंख्या अधिक निवास करती है।
3 औद्योगिकरण- जिन क्षेत्रों में उद्योगो का विकास हुआ है उनमें लोगो को रोजगार के अधिक अवसर मिल जाते है इसलिए उन क्षेत्रों में अधिक जनसंख्या निवास करती है। उदाहरण के लिए जापान का कोबे ओसाका प्रदेश औद्योगिकरण के कारण ही सघन बसा हुआ है।
सामाजिक व सांस्कृतिक कारक- जिन क्षेत्रों में सामाजिक व राजनीतिक अशांति होती है वहा कम जनसंख्या निवास करती है जबकि सामाजिक व सांस्कृतिक रूप से शांत क्षेत्रों में लोग ज्यादा बसना पसंद करते है।
प्रश्न 2. जनसंख्या पिरामिड से क्या अभिप्राय है? इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- जनसंख्या पिरामिड- जनसंख्या की आयु लिंग संरचना को प्रदर्शित करने वाले पिरामिडों को जनसंख्या पिरामिड कहते हैं प्रत्येक आयु वर्ग में बाया भाग पुरूषों के प्रतिशत को जबकि दायाँ भाग स्त्रियों के प्रतिशत को व्यक्त करता है।इन पिरामिड़ो को आयु लिंग पिरामिड भी कहा जाता है।
जनसंख्या पिरामिड़ के विभिन्न प्रकार- जनसंख्या पिरामिड़ तीन प्रकार के होते है-
1 विस्तारित होती जनसंख्या के पिरामिड़
2 स्थिर जनसंख्या के पिरामिड़
3 ह्रासमान जनसंख्या के पिरामिड़
1 विस्तारित होती जनसंख्या पिरामिड़- इस प्रकार के पिरामिड़ विशाल आकार के त्रिभुजाकार आकार के होते हैं । इस प्रकार के पिरामिड़ विकासशील देशो की जनसंख्या के बनते हैं। जैसे नाइजीरिया
2 स्थिर जनसंख्या पिरामिड़- इस प्रकार के पिरामिड़ घंटी के आकार के होते हैं। यहां जन्मदर व मृत्युदर लगभग समान होने के कारण जनसंख्या लगभग स्थिर बनी रहती है।
जैसे- आस्ट्रेलिया
3 ह्रासमान जनसंख्या पिरामिड़- इस प्रकार के पिरामिड़ो का आधार संकीर्ण और शीर्ष शुंड़ाकार होता है। निम्न जन्मदर व निम्न मृत्युदर के कारण यहां जनसंख्या वृद्धि या तो शुन्य या ऋणात्मक होती है। जैसे जापान
प्रश्न 3. उदारीकरण ,निजीकरण और वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं इन्होने भारत के औद्योगिक विकास में किस प्रकार सहायता की है
उत्तर – समय अभाव की वजह से इसका उत्तर हम नही लिख पा रहे हैं आप स्वयं तैयार कर लें।
कल होने वाली परीक्षा के लिए आपको ढेर सारी शुभकामनाएं
ALL THE BEST
Thanku sir ji and love you 🙏🏻💐
ReplyDeleteThanks sir ji
ReplyDeleteThanks sar ji
ReplyDeleteThank you sir ji
ReplyDeleteThanks sir ji
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